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नारी और प्रेम

...........नारी और प्रेम  ----------

एक प्रसिद्ध उपन्यास कार ने कहा था
" काशी भी अजब शहर है यहां हर गंगा घाट पर, मन्दिर में माताऐं-बहिने मिल जाती हैं "
इसी सन्दर्भ मे:
गली गली मे हर मुहल्ले मे प्रेम प्रस्फुटित होता है,
ममता भरी नारी के प्रेम से जगत प्रतिष्ठित होता है।

ममता दया त्याग की देवी ,नारी ही कहलाती है,
अपने इन्ही गुणों के कारण नारी पूजनीय कहलाती है।

अन्तर्मन मे हर नारी के मां की दिल ही पाओगे,
ज़रा स्वार्थ से हट कर सोचो,मां का दर्शन पा जाओगे।

नारी बेटी,नारी बहिना, नारी भार्या भी होती है,
पर अपने सुन्दर तम स्वरूप में नारी ममतामयी होती है।

मातृ-प्रेम की थाह नहीं न बराबरी कोई कर पायेगा,
नारी के ममत्व के आगे अति नत मस्तक हो जायेगा।

इस जग मे आ कर हर  प्राणी मातृप्रेम ही पाता है,
बिन स्वार्थ आत्मिक प्रेम का वह दर्शन कर पाता है।

फ़िर क्योंकर  प्रेम मे मानव के स्वार्थ भावना मिलती है,
प्यार नहीं व्यापार है वह, लेन-देन भावना दिखती है।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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7 Comments

madhura

13-Feb-2023 03:32 PM

nice

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Radhika

13-Feb-2023 10:04 AM

Nice

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Punam verma

13-Feb-2023 09:01 AM

Very nice

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